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हनुमान जी को बजरंगबली के नाम से जाना जाता है । हनुमान जी की नियमित रूप से नाम लेने पर सभी संकट से छुटकारा मिलता है। हनुमान की भक्ति से व्यक्ति के मन में किसी प्रकार का डर नहीं रहता । मंगलवार के दिन भक्त हनुमान जी के मंदिर जाकर आशीर्वाद प्राप्त करते है ।


हनुमान जी की आरती के फायदे 


 1: जो व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान जी की भक्ति करता है वो जीवन में तरक्की हासिल करता है ।

2: हनुमान जी हर परिस्थिति में अपने भक्तों की रक्षा करते है ।

3: हनुमान जी की भक्ति करने से व्यक्ति को भूत प्रेत से डर नहीं लगता 

हनुमान जी के कितने भाई थे 


5 भाई थे जिसमे से सबसे बड़े हनुमान जी थे ।

हनुमान जी के पिता का क्या नाम था


इनके पिता का नाम केसरी और माता का नाम अंजना 


हनुमान जी के कितने कितने नाम है 


हनुमान जी के 108 नाम है ।

Hanuman Aarti Pdf In hindi download


Hanuman Aarti Pdf In Hindi


आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके। अंजनि पुत्र महाबलदायी।
संतान के प्रभु सदा सहाई।। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारी सिया सुधि लाए। लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज संवारे। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। पैठी पाताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे। बाएं भुजा असुरदल मारे।
दाहिने भुजा संत जन तारे। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें। कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई।
तुलसीदास प्रभु कीरति गाई। जो हनुमानजी की आरती गावै।
बसी बैकुंठ परमपद पावै। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।




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